Wednesday 29 August 2012


ए पवन जा बह उधर

मेरे पिता रहते जिधर

हाँ मज़े में हूँ सही

घर नहीं हूँ बस यही

उन्हें कहना जी रहा हूँ

याद को बस पी रहा हूँ

 

उठ रहा हूँ जग रहा हूँ

रात होती सो रहा हूँ

कहना उन्हें की मस्त हूँ

यह ना कहना अस्त हूँ

जो सीख दी वह कर रहा हूँ

है शोर की मैं चल रहा हूँ

है शोर की मैं चल रहा हूँ

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