यह जीवन क्या है पानी है
सुख-दुःख इसके दो सानी हैं
मानो बस एक जल धारा है
जिसमें बहते ही जाना है
वक़्त का पहिया चलता कहता
चलते जाना बहते जाना
जाना भी है, जल भी गहरा
मेरा-तेरा स्वार्थ का पहरा
चलता चल मत छोड़ प्रयास
फिर पा लेगा जीने की आस
क्या कहता जीवन, जी ले मुझको
कर अथक प्रयास फिर पी ले मुझको
सफल-विफल दो अंग हैं मेरे
पतझर-सावन संग हैं मेरे
जो जान गया वो ज्ञानी है
यह जीवन क्या है पानी है
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