क्या जिंदगी है आज
ही या रुकेगी कल कहीं
तभी रुकेगी जिंदगी
जब प्यार को हो पल नहीं
रुको नहीं चले चलो,
झुको नहीं चले चलो
जो हार कि फटकार हो
फिर जीत कि फसल वहीँ
नया जोश होश हो, नई
उमंग रोज हो
रोष भी समान हो,
प्रेम में ही भोज हो
नहीं गिला किसी से
अब और मौत से हो दोस्ती
नए बादलों तले नए
शितिज कि खोज हो
इंसान में प्यार से
इंसानियत बनाइये
इंसानियत हो फलसफ़ा
मजहब नया चलाईये
हो नदी में ज़ोर
कितना, पतवार नई चाहिए
गर हों अँधेरे
रास्ते बस लौ जलानी चाहिए.... बस लौ जलानी चाहिए
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