प्रजातंत्र का दौर है, प्रजातंत्र का पर्व
नेता आगे चल रहे, पीछे देश का गर्व
नोट-वोट का खेल कर, खेलें टेडी चाल
डाकू नेता बन गए, जनता भई कंगाल
अडवाणी-रथ रूठ गौ, ‘मुरली’ अपनी तान
लहर बनावे आपनी, मोदी मारे बाण
माँ-बेटे की जीत पर, बहन भी आई संग
‘हाथ’ भी तरसे साथ को, ‘दिग्गी’ रासरंग
‘वाम’ रो गए ‘ममता’ से, हुआ तीसरा फेल
PM बनने
की रेस में, खूब चला ये खेल
‘माया’ का बहुरूप है, मुलायम हो रहे
सख्त
लालू आया जेल से, ललचाएं देखि तख़्त
नाक में दम है कर रही ‘टोपी’ केजरीवाल
‘झाड़ू’ सब पर चल रही, सादेपन का जाल
संविधान को कौन संभाले, रही न अब वो बात
जीत रहे खरगोश अब और कछुए खाते मात
वोटरलिस्ट में अटक गई अब तेरी पहचान
जात-पात और धर्म में, बाँट दियो इंसान... जात-पात और धर्म में, बाँट दियो
इंसान
No comments:
Post a Comment