Thursday 22 May 2014

आया जीवन फिर से घर में जीने को संसार

आया जीवन फिर से घर में जीने को संसार,
माँ की ममता को पाने और पाने आकार

नन्हा मोती पाया जिसने ‘मोनी’ उसकी मैया
और ‘नव्या’ भी खेल रही, प्यारा उसका भैया

जीवन का है रंग यही, सुख-दुःख दोनों तीर
तुझमे ही मौला को देखूँ, तुझमें देखूँ पीर

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