सातों दिन का राजा जो
बच्चों में भी प्यारा वो
आने वाला है रविवार
मज़े करें पूरा परिवार
आँख खुली सूरज का ज़ाला
नौ बजे अब चाय का प्याला
फिर बच्चों की हो फरमाइश
चलो पार्क है झूले की ख्वाइश
अलसाया अलसाया है तन
बिस्तर-टीवी से चिपका मन
कह दे ‘नव्या’ मम्मी से जाकर
चाय-पकोड़े ला दे दें आकर
है छुट्टी सो इतराती आज़
ला सब्जी, ला आलू प्याज़
दिन – भर बस बीबी का रौब
इससे अच्छा बॉस का खौफ़!
पर अच्छी लगती है ये सज़ा
इस दिन का है अपना ही मज़ा
कल दफ्तर है सोमवार
मन इंतज़ार कब रविवार.. मन इंतज़ार फिर रविवार
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