ना जाइए दूर, करीबी बनाए रखिये
थोड़ी देर और मुझमे समाए रहिये
ये हसीं रात फिर हो ना हो
बरसती चाँदनी में बस नहाते रहिये
बगेर कुछ बोले यूँ ही बैठे
रहो
निगाहों से सुनते-सुनाते रहिये
ना इश्क, ना प्रेम, न मोहब्बत
बगेर नाम यूँ ही बुलाते रहिये
कल फिर मिलने को कौन कहता है
आज़ का दीप जलाते रहिये
सुबह-दोपहर-शाम होने दो
हमे बस रात भर जगाते रहिये...हमे बस रात भर जगाते रहिये |
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